आज का गीता श्लोक और उसका गूढ़ अर्थ
सावन केवल शिव भक्ति का ही नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि और आत्मज्ञान का भी महीना होता है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!इस पावन मास में श्रीमद्भगवद गीता का एक-एक श्लोक जीवन में गहरा प्रभाव डाल सकता है।
आज हम आपके लिए लाए हैं श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया अमूल्य
उपदेश — जो सिर्फ उस युग के लिए नहीं, बल्कि आज के युग के लिए भी अत्यंत प्रासंगिक है।
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आज का गीता श्लोक (7 जुलाई 2025)
📜 श्लोक – श्रीमद्भगवद गीता, अध्याय 2, श्लोक 47:
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥आज का गीता श्लोक और उसका अर्थ | सावन 2025 विशेष
आज का गीता श्लोक सरल हिंदी में अर्थ
“तेरा अधिकार केवल कर्म करने में है, उसके फल में नहीं।
इसलिए तू फल की चिंता मत कर, और न ही कर्म करने में लापरवाह बन।”
यह श्लोक हमें सिखाता है कि:
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हम अपने कर्मों के लिए जिम्मेदार हैं, फल के लिए नहीं
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सफलता और असफलता पर नहीं, प्रयास पर ध्यान देना चाहिए
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फल की चिंता में फंसे रहने से कर्म की शुद्धता नष्ट हो जाती है
🌼आज का गीता श्लोक से जीवन में क्या सीखें?
🔹 | सीख |
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✅ | जीवन में बिना डर के कार्य करें |
✅ | अपेक्षा मुक्त कर्म से ही सच्चा सुख मिलता है |
✅ | असफलता से घबराना नहीं, निरंतर प्रयास ही धर्म है |
✅ | हर कर्म को पूजा समझकर करें, फल ईश्वर पर छोड़ दें |
सावन में गीता पाठ का महत्व
सावन का महीना भक्ति, ध्यान और आत्मनिरीक्षण का समय होता है।
शिव योग और गीता ज्ञान दोनों साथ मिलकर जीवन को संतुलित बनाते हैं।
🕉️ सावन में गीता पढ़ने के लाभ:
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मन को शांत और केंद्रित करता है
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भटकते विचारों को दिशा देता है
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कर्म और धर्म का सही अर्थ समझ आता है
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आत्मविश्वास और मानसिक ऊर्जा में वृद्धि होती है
गीता का पाठ कैसे करें? (जाप विधि)
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सुबह या शाम शांत जगह पर बैठें
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श्रीकृष्ण का स्मरण करें और दीपक जलाएं
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आज का श्लोक पढ़ें, अर्थ समझें
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2 मिनट शांत बैठकर चिंतन करें — “मैं इसे जीवन में अपनाऊँगा”
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अंत में “ॐ श्रीकृष्णाय नमः” का जाप करें
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1: क्या गीता केवल वृद्धों के लिए है?
❌ नहीं। गीता हर आयु वर्ग के लिए है – छात्रों से लेकर गृहस्थ तक।
Q2: क्या रोज़ एक श्लोक पढ़ना पर्याप्त है?
✅ हां, एक श्लोक भी रोज़ पढ़ा जाए तो मन में गहराई से उतरता है।
Q3: गीता कौन से भगवान ने दी?
✅ श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध से पूर्व अर्जुन को यह दिव्य ज्ञान दिया।
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📖 श्रीमद्भगवद गीता का महत्व –
महाभारत युद्ध की शुरुआत से ठीक पहले का क्षण बेहद निर्णायक था।
जब अर्जुन रणभूमि में अपने ही सगे-संबंधियों के विरुद्ध युद्ध करने से हिचकिचा रहे थे,
तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें जो अमूल्य ज्ञान दिया, वही श्रीमद्भगवद गीता के रूप में आज हम सबके पास है।
यह गीता, महाभारत के भीष्म पर्व का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा है।
इसमें 18 अध्याय और कुल 700 श्लोक शामिल हैं। यह केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं,
आज का गीता श्लोक बल्कि जीवन जीने की कला सिखाने वाला एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक है।
🕉️ उपनिषदों और ब्रह्मसूत्रों की आत्मा – गीता
भारतीय परंपरा में गीता को ‘प्रस्थानत्रयी’ का हिस्सा माना गया है,
जिसमें उपनिषद और ब्रह्मसूत्र भी सम्मिलित हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि
गीता को भारत के सबसे गहरे और गूढ़ आध्यात्मिक ग्रंथों में गिना जाता है।
👉 एक सुंदर उपमा दी गई है —
उपनिषदें जैसे गाय हैं और गीता उस गाय का दूध। आज का गीता श्लोक
अर्थात उपनिषदों की जो आध्यात्मिक विद्या है, वह गीता में अत्यंत सहज और सुंदर ढंग से व्यक्त की गई है।
🔍 गीता में समाहित हैं वेदों की विशेष विद्याएं
भगवान जगन्नाथ की कहानी:- पढे
गीता में वेद और उपनिषदों की कई गूढ़ विद्याओं का सार समाहित है, जैसे:
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अश्वत्थ विद्या – संसार के अस्थिर स्वरूप की पहचान
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अव्यय पुरुष विद्या – परम ब्रह्म की अनश्वरता का बोध
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अक्षर पुरुष विद्या – जीव आत्मा के शाश्वत स्वरूप की समझ
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क्षर पुरुष विद्या – भौतिक जगत की नश्वर प्रकृति की व्याख्या
इन सभी विषयों का समन्वय गीता में इस प्रकार हुआ है कि यह केवल एक ग्रंथ नहीं,
बल्कि ब्रह्मविद्या का भंडार बन गई है — यानी आत्मा, परमात्मा और सृष्टि के गूढ़ संबंधों का सुंदर निरूपण।
🙏 अर्जुन से आरंभ, हम सब तक प्रेरणा
जब अर्जुन ने युद्ध से मुँह मोड़ा, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें कर्म, धर्म, आत्मा और मोक्ष का ऐसा ज्ञान दिया
जो सिर्फ उस युद्ध के लिए नहीं, बल्कि आज भी हर व्यक्ति के लिए मार्गदर्शन है।
भगवान श्रीकृष्ण के यही उपदेश बाद में ग्रंथ रूप में संकलित हुए,
जिसे हम “श्रीमद्भगवद गीता” के नाम से जानते हैं।
निष्कर्ष – गीता: हर युग की जीवन-दीपशिखा
श्रीमद्भगवद गीता केवल एक पौराणिक ग्रंथ नहीं है, आज का गीता श्लोक
बल्कि यह हर इंसान के जीवन का दिशा-निर्देशक है।
इसमें छिपा ज्ञान सिर्फ कर्म का महत्व नहीं समझाता,
बल्कि धर्म, आत्मा और परमात्मा से जुड़ने की सही दृष्टि भी देता है।
आज का गीता श्लोक सदियों पहले कुरुक्षेत्र में जो संवाद अर्जुन और श्रीकृष्ण के बीच हुआ था,
वह आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उस समय था।
जीवन की अनिश्चितताओं में, गीता एक स्थिर प्रकाश की तरह मार्ग दिखाती है।
इस सावन, शिव भक्ति के साथ-साथ गीता के अमृत समान श्लोकों को भी
अपने जीवन में अपनाएं — ताकि आपके कर्म भी शुद्ध हों, और लक्ष्य भी स्पष्ट।
👉 अगर आप चाहते हैं कि हम हर दिन “आज का गीता श्लोक” आपके लिए लाते रहें,
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हर दिन एक श्लोक – हर दिन एक नई दिशा!