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शिव जी के 108 नाम PDF सहित अर्थ समेत | सावन 2025 विशेष

शिव जी के 108 नाम PDF सहित अर्थ समेत | सावन 2025 विशेष

शिव जी के 108 नाम और अर्थ

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🕉️ सावन में शिव नाम जप का महत्व

श्रावण मास शिव भक्तों के लिए विशेष माना जाता है।

इस दौरान भगवान शिव के नामों का जाप करने से न केवल आध्यात्मिक उन्नति होती है,

बल्कि मानसिक शांति और पारिवारिक सुख-शांति भी मिलती है।

मान्यता है: शिव जी के 108 नामों का जाप करने से समस्त पापों का नाश होता है

           और इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

🔱 भगवान शिव के 108 नाम – अर्थ सहित सूची

यहाँ हम प्रस्तुत कर रहे हैं शिव जी के 108 नामों में से कुछ प्रमुख नाम और उनके अर्थ:

शिव जी के 108 नाम PDF सहित अर्थ समेत | सावन 2025 विशेष
शिव जी के 108 नाम PDF सहित अर्थ समेत | सावन 2025 विशेष
क्रम नाम अर्थ
1 ओंकारेश्वर ओंकार के स्वामी
2 महादेव सबसे महान देवता
3 त्रिलोकेश्वर तीनों लोकों के स्वामी
4 नीलकंठ विष पीने वाले नीले गले वाले
5 शंकर कल्याणकारी
6 रुद्र रौद्र रूप वाले
7 भोलेनाथ सरल हृदय वाले
8 आदियोगी प्रथम योगी
9 विश्वनाथ सम्पूर्ण ब्रह्मांड के स्वामी
10 कालेश्वर काल के अधिपति

 

👉भगवान जगन्नाथ की कहानी पढे 

👉 📥 नीचे दी गई PDF में पूरी लिस्ट उपलब्ध है।

📩 PDF डाउनलोड करें – भगवान शिव के 108 नाम

शिव जी के 108 नामों की पूरी सूची को PDF में डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें:

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यह रहे भगवान शिव जी के 108 नाम (संस्कृत में) और उनके अर्थ (हिंदी में) भी संक्षेप में दिए हैं:

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शिव जी के 108 नाम और उनके अर्थ:

  1. महादेव – सबसे बड़े देवता
  2. शम्भु – कल्याणकारी
  3. पिनाकी – त्रिशूलधारी
  4. शशिशेखर – सिर पर चंद्रमा धारण करने वाले
  5. वामदेव – सौम्य रूप वाले
  6. वीरभद्र – पराक्रमी योद्धा
  7. गंगाधर – गंगा को सिर पर धारण करने वाले
  8. ललाटाक्ष – तीसरी आंख वाले
  9. भोलानाथ – भोलेनाथ, सीधे-सच्चे स्वभाव वाले
  10. त्रिलोकेश – तीनों लोकों के स्वामी
  11. नीलकंठ – विषपान से गला नीला होने वाले
  12. कपर्दी – जटाधारी
  13. त्रिनेत्र – तीन नेत्रों वाले
  14. रुद्र – प्रलयंकारी रूप वाले
  15. कैलासनाथ – कैलाश पर्वत के स्वामी
  16. चन्द्रशेखर – सिर पर चंद्रमा धारण करने वाले
  17. महेश्वर – महान ईश्वर
  18. नागेश्वर – नागों के स्वामी
  19. वृषभवाहन – बैल पर सवार रहने वाले
  20. अशुतोष – जल्दी प्रसन्न होने वाले
  21. गंगापति – गंगा के स्वामी
  22. सर्वज्ञ – सब कुछ जानने वाले
  23. दिगम्बर – आकाश वस्त्रधारी
  24. भीम – भयानक रूप वाले
  25. चन्द्रमौलि – सिर पर चंद्रमा वाले
  26. सर्वेश्वर – सभी के ईश्वर
  27. उग्र – प्रचंड रूप वाले
  28. कपालमालाधारी – खोपड़ी की माला पहनने वाले
  29. भैरव – भयानक रूप वाले
  30. विश्वनाथ – संसार के स्वामी
  31. त्रिपुरारी – त्रिपुरासुर का संहार करने वाले
  32. सोमेश्वर – चंद्रमा के स्वामी
  33. कृष्णकण्ठ – गहरे नीले गले वाले
  34. सदानन्द – सदा आनन्द में रहने वाले
  35. चिरंजीवी – अमर
  36. जटाधारी – जटाओं वाले
  37. पशुपति – प्राणियों के स्वामी
  38. महाकाल – समय के स्वामी
  39. कामारि – कामदेव के शत्रु
  40. सत्य – सत्यस्वरूप
  41. पार्वतीपति – माता पार्वती के पति
  42. भूतनाथ – भूत-प्रेतों के स्वामी
  43. कृतिवास – चीते की खाल पहनने वाले
  44. नटराज – नृत्य के स्वामी
  45. त्रिपुरान्तक – त्रिपुरासुर का अंत करने वाले
  46. कालकाल – काल के भी काल
  47. विश्वेश्वर – ब्रह्माण्ड के स्वामी
  48. भूतभावन – प्राणियों के पालनकर्ता
  49. भवरोगहर – जन्म-मृत्यु के रोग को मिटाने वाले
  50. शिवशंकर – कल्याणकारी शिव
  51. ईशान – ईश्वर
  52. चन्द्रहास – तलवार धारण करने वाले
  53. चन्द्रवक्त्र – चंद्रमुख वाले
  54. शूलपाणि – त्रिशूल धारण करने वाले
  55. सर्वात्मा – समस्त जीवों में आत्मा रूप में विद्यमान
  56. सर्वमंगल – सभी शुभता के दाता
  57. सोमप्रिय – चंद्रमा को प्रिय
  58. शंकर – कल्याणकारी
  59. कपालेश्वर – कपाल के स्वामी
  60. विश्वनाथ – जगत के स्वामी
  61. त्रैलोक्यनाथ – तीनों लोकों के स्वामी
  62. वृषकेतु – बैल को ध्वज में धारण करने वाले
  63. महायोगी – महान योगी
  64. जगद्गुरु – जगत के गुरु
  65. देवदेव – देवताओं के देवता
  66. रुद्रेश्वर – रुद्र रूपी ईश्वर
  67. महावीर – महान वीर
  68. शशिधर – चंद्रमा धारण करने वाले
  69. अद्भुत – अद्भुत रूप वाले
  70. विश्वरूप – संपूर्ण ब्रह्माण्ड में व्यापित
  71. प्रमथनाथ – प्रेतगणों के स्वामी
  72. प्रजापति – प्रजा के स्वामी
  73. महामृत्युंजय – मृत्यु पर विजय पाने वाले
  74. सत्यप्रिय – सत्य को प्रिय मानने वाले
  75. शिवरूप – शिवस्वरूप वाले
  76. चिदात्मा – चेतना स्वरूप
  77. अद्वितीय – जिनका कोई दूसरा नहीं
  78. भूतेश्वर – भूतों के स्वामी
  79. सिद्धनाथ – सिद्धियों के स्वामी
  80. सर्वज्ञानी – सभी ज्ञान वाले
  81. सर्वेश – सभी के ईश्वर
  82. सर्वसाक्षी – सभी का साक्षी
  83. अपराजित – जिन्हें कोई पराजित नहीं कर सकता
  84. परमात्मा – परम आत्मा
  85. महेश – महान ईश्वर
  86. सुखद – सुख देने वाले
  87. मृत्युनाशक – मृत्यु का नाश करने वाले
  88. कामद – मनोकामना पूर्ण करने वाले
  89. दयानिधि – करुणा के भंडार
  90. उमापति – माता पार्वती के पति
  91. जगन्नाथ – जगत के नाथ
  92. मृत्युभयहर – मृत्यु का भय मिटाने वाले
  93. कैलाशवासी – कैलाश पर्वत पर निवास करने वाले
  94. नागभूषण – सर्प आभूषण धारण करने वाले
  95. प्रणवस्वरूप – ॐ स्वरूप वाले
  96. विश्वकर्मा – सृष्टि रचयिता
  97. सत्यरूप – सत्यस्वरूप
  98. विधिपालक – नियमों के रक्षक
  99. भवरोगनाशक – संसार के रोगों का नाश करने वाले
  100. त्रिलोकपति – तीनों लोकों के पति
  101. सर्वरक्षक – सबकी रक्षा करने वाले
  102. कल्याणस्वरूप – कल्याण के स्वरूप
  103. अभयदायक – भय को दूर करने वाले
  104. जटाधर – जटाओं वाले
  105. विश्वेश – ब्रह्माण्ड के स्वामी
  106. योगेश्वर – योग के ईश्वर
  107. दीनबन्धु – गरीबों के मित्र
  108. शिव – कल्याणकारी

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शिव जी के 108 नाम PDF सहित अर्थ समेत | सावन 2025 विशेष

🌿 शिव नाम जाप करने के लाभ

🌿 शिव नाम जाप करने के लाभ

🔔 जाप विधि (Shiv Naam Jaap Vidhi)

शिव नाम जाप करने की सही विधि इस प्रकार है:

भगवान शिव: संहार से सृजन तक के अधिपति

शिवजी को संहार का देवता यूं ही नहीं कहा जाता। उनकी दिव्यता में सौम्यता और रौद्रता

दोनों का अद्वितीय संतुलन है। एक ओर वे तपस्वी योगी हैं,

तो दूसरी ओर रौद्ररूप धारण कर अधर्म का विनाश करने वाले महाकाल।
इन्हीं विरोधाभासी गुणों के समन्वय के कारण उन्हें “महादेव” की उपाधि प्राप्त हुई — अर्थात् सभी देवों में श्रेष्ठ।

भगवान शिव को त्रिदेवों में संहार का अधिपति माना गया है,

परंतु उनका यह संहारक स्वरूप भी सृजन की ही एक प्रक्रिया है।

शिव केवल विनाश नहीं करते, बल्कि सृष्टि की उत्पत्ति, पालन और पुनः सृजन की धुरी भी वही हैं।

वे न आदि हैं, न अंत — बल्कि समय के परे स्थित एक अनंत शक्ति हैं।

ज्योतिष शास्त्र में भगवान शिव को काल और महाकाल का अधिष्ठाता माना गया है।

वे उस चेतना के रूप में जाने जाते हैं, जो ब्रह्मांडीय नियमों की मूल जड़ है।

🙋 हमेशा ये सवाल पूछे जाते है:

 Q1: शिव जी के 108 नामों की उत्पत्ति कहाँ से हुई?

उत्तर: ये नाम प्रमुख रूप से शिव महापुराण, लिंग पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में वर्णित हैं।

 Q2: क्या महिला या बच्चे भी जाप कर सकते हैं?

उत्तर: हां, शिव नामों का जाप सभी आयु और लिंग के लोगों के लिए लाभकारी है।

 Q3: क्या 108 नामों का जाप रोज़ करना चाहिए?

उत्तर: हां, रोज़ किया जा सकता है, पर सावन में इसका विशेष महत्व होता है।

🔚 निष्कर्ष

भगवान शिव के 108 नामों का जाप न केवल साधना है बल्कि यह आत्मा को शुद्ध करने

और ईश्वर से जुड़ने का मार्ग भी है। सावन माह इस आराधना के लिए सर्वश्रेष्ठ समय है।

तो इस पावन अवसर पर शिव नामों का स्मरण करें और जीवन को शुभता से भर दें।

👉 आज ही PDF डाउनलोड करें और अपने दिन की शुरुआत शिव नाम जाप से करें!

अगर आपका कोई सवाल हो तो आप कमेन्ट कर के पूछ सकते है ।

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