महाभारत युद्ध की शुरुआत से ठीक पहले का क्षण बेहद निर्णायक था।
जब अर्जुन रणभूमि में अपने ही सगे-संबंधियों के विरुद्ध युद्ध करने से हिचकिचा रहे थे,
तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें जो अमूल्य ज्ञान दिया, वही श्रीमद्भगवद गीता के रूप में आज हम सबके पास है।
यह गीता, महाभारत के भीष्म पर्व का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा है।
इसमें 18 अध्याय और कुल 700 श्लोक शामिल हैं। यह केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं,
आज का गीता श्लोक बल्कि जीवन जीने की कला सिखाने वाला एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक है।
🕉️ उपनिषदों और ब्रह्मसूत्रों की आत्मा – गीता
भारतीय परंपरा में गीता को ‘प्रस्थानत्रयी’ का हिस्सा माना गया है,
जिसमें उपनिषद और ब्रह्मसूत्र भी सम्मिलित हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि
गीता को भारत के सबसे गहरे और गूढ़ आध्यात्मिक ग्रंथों में गिना जाता है।
👉 एक सुंदर उपमा दी गई है — उपनिषदें जैसे गाय हैं और गीता उस गाय का दूध। आज का गीता श्लोक अर्थात उपनिषदों की जो आध्यात्मिक विद्या है, वह गीता में अत्यंत सहज और सुंदर ढंग से व्यक्त की गई है।
गीता में वेद और उपनिषदों की कई गूढ़ विद्याओं का सार समाहित है, जैसे:
अश्वत्थ विद्या – संसार के अस्थिर स्वरूप की पहचान
अव्यय पुरुष विद्या – परम ब्रह्म की अनश्वरता का बोध
अक्षर पुरुष विद्या – जीव आत्मा के शाश्वत स्वरूप की समझ
क्षर पुरुष विद्या – भौतिक जगत की नश्वर प्रकृति की व्याख्या
इन सभी विषयों का समन्वय गीता में इस प्रकार हुआ है कि यह केवल एक ग्रंथ नहीं,
बल्कि ब्रह्मविद्या का भंडार बन गई है — यानी आत्मा, परमात्मा और सृष्टि के गूढ़ संबंधों का सुंदर निरूपण।
🙏 अर्जुन से आरंभ, हम सब तक प्रेरणा
जब अर्जुन ने युद्ध से मुँह मोड़ा, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें कर्म, धर्म, आत्मा और मोक्ष का ऐसा ज्ञान दिया
जो सिर्फ उस युद्ध के लिए नहीं, बल्कि आज भी हर व्यक्ति के लिए मार्गदर्शन है।
भगवान श्रीकृष्ण के यही उपदेश बाद में ग्रंथ रूप में संकलित हुए,
जिसे हम “श्रीमद्भगवद गीता” के नाम से जानते हैं।
निष्कर्ष – गीता: हर युग की जीवन-दीपशिखा
आज का गीता श्लोक और उसका अर्थ | सावन 2025 विशेष
श्रीमद्भगवद गीता केवल एक पौराणिक ग्रंथ नहीं है, आज का गीता श्लोक
बल्कि यह हर इंसान के जीवन का दिशा-निर्देशक है।
इसमें छिपा ज्ञान सिर्फ कर्म का महत्व नहीं समझाता,
बल्कि धर्म, आत्मा और परमात्मा से जुड़ने की सही दृष्टि भी देता है।
आज का गीता श्लोक सदियों पहले कुरुक्षेत्र में जो संवाद अर्जुन और श्रीकृष्ण के बीच हुआ था,
वह आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उस समय था। जीवन की अनिश्चितताओं में, गीता एक स्थिर प्रकाश की तरह मार्ग दिखाती है।
इस सावन, शिव भक्ति के साथ-साथ गीता के अमृत समान श्लोकों को भी
अपने जीवन में अपनाएं — ताकि आपके कर्म भी शुद्ध हों, और लक्ष्य भी स्पष्ट।
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sourav
मैं सौरव हूँ, पिछले 3+ वर्षों से एजुकेशन, टेक्नोलॉजी और सरकारी नौकरी से जुड़ी विश्वसनीय और उपयोगी जानकारी पर लिख रहा हूँ।DeshNaukari.com पर मेरा उद्देश्य है कि आप तक हर जरूरी अपडेट सटीक, सरल और भरोसेमंद तरीके से पहुँचाऊँ, ताकि आप बिना किसी उलझन के सही निर्णय ले सकें।मेरा मानना है — तजुर्बा वही मायने रखता है, जो काम आए!